Swati Sharma

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लेखनी कहानी -07-Nov-2022 हमारी शुभकामनाएं (भाग -14)

हमारी शुभकामनाएं:-

नरक चतुर्दशी/काली चौदस:-

                      भूमिका के घर का दरवाज़ा बोला, जब उसने दरवाज़ा खोला तो सामने उसकी माता की बुआ खड़ी थीं। उसने आदर से उन्हें अंदर बैठाया और उनसे बातें करने लगी। बातों ही बातों में भूमिका ने उनसे नरक चतुर्दशी के विषय में पूछा तो उन्होंने उसे बताया:-
                     हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को नरक चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है। नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली, काली चौदस समेत कई नामों से जाना जाता है। पंडित इंद्रमणि घनस्याल बताते हैं कि नरक चतुर्दशी पर यमराज की विशेष उपासना की जाती है। हिंदू धर्म में नरक से बचने के लिए यम दीपक का खास महत्व बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन यम की विशेष उपासना से जीवात्माओं की सद्गति होती हैं। चलिए जानते हैं नरक चतुर्दशी पर यम दीपक से जुड़े मान्यता और कथा के बारे में।
                      नरक चतुर्दशी पर शाम की पूजा का विधान है। नरक चतुर्दशी पर शाम को यम दीपक जलाने से नरक से मुक्ति प्राप्त होती है। कहा जाता है कि इस दिन पानी या नाली के पास दीपक जलाने से व्यक्ति को नरक नहीं भोगना पड़ता है।
                      इस दिन सच्ची श्रद्धा से यमराज की पूजा करने से नरक के मुक्ति पा सकते हैं। नरक चतुर्दशी पर शाम के समय घरों में दीये जलाए जाते हैं और यमराज की पूजा की जाती है। साथ में यमराज से असमय मृत्यु से बचने के लिए और परिवार की रक्षा के लिए कामना की जाती है। नरक चतुर्दशी पर्व मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा भी प्रचलित है।
                      पौराणिक के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था। नरकासुर ने 16 हजार कन्याओं को बंधक बना लिया था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने राक्षक नरकासुर का वध करके सभी कन्याओं को मुक्त कराया था।
                     इसके बाद सभी कन्याएं विलाप करने लगीं कि अब धरती पर उनको कोई नहीं अपनाएगा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन 16 हजार कन्याओं को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया। तब से नरक चतुर्दशी पर यमराज के साथ श्रीकृष्ण की भी पूजा की जाती है।
                      इस दिन को काली चौदस के नाम से भी जाना जाता है। इसके पीछे की कथा कुछ इस प्रकार से है -
                      दिवाली के दो दिन पहले को गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में काली चौदस के रूप में जाना जाता है। काली का अर्थ है अंधेरा और चौदस का अर्थ है चौदहवां। इस प्रकार, अश्विन महीने (हिंदू कैलेंडर) के अंधेरे आधे के 14 वें दिन मनाया जाता है, काली चौदस महाकाली की पूजा के लिए आवंटित दिन है और माना जाता है कि इस दिन काली ने सबसे दुष्ट नरकासुर का वध किया था।
                       भूमिका ने उनकी कथा बड़े ध्यान से सुनी और उनके लिए भोजन का इंतज़ाम करने भीतर चली गई।

#30 days फेस्टिवल / रिचुअल कम्पटीशन

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10 Comments

Gunjan Kamal

18-Nov-2022 09:41 AM

बेहतरीन

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Swati Sharma

18-Nov-2022 09:18 PM

शुक्रिया मेम 🙏🏻

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Rafael Swann

14-Nov-2022 11:59 PM

Prashansaniya prastuti 👏😊

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Swati Sharma

15-Nov-2022 09:07 AM

आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन 🙏🏻🙏🏻

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Supriya Pathak

12-Nov-2022 12:43 PM

Bahut sundar

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Swati Sharma

12-Nov-2022 04:19 PM

Thank you

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